श्रीकृष्ण व नरसी मेहता

नरसी ने – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २०

नरसी ने – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २०


नरसी ने यूं सुनकर कहा, मैं तो ग़रीब अदना हूं जी।
साधू मेरी दूकान तो मुद्दत से है ख़ाली पड़ी॥
ने है मेरी आड़त कहीं, ने मीत मेरा है कोई।
ने पास मेरे लेखनी, ने एक टूटी सी बही॥
यह बात वां कहिये जहां, नित हुंडियां हर बार हैं॥२०॥


राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.

नरसी ने – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २०

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *