श्रीकृष्ण व नरसी मेहता

नरसी की सांवल – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३३

नरसी की सांवल – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३३


नरसी की सांवल साह ने जब इस तरह की पत रखी।
और यूं कहा आगे को तुम, लिखते रहो हुंडी बड़ी॥
बलिहारी नरसी हो गए, श्रीकृष्ण ने कृपा यह की।
जिसको ”नज़ीर“ ऐसों की है, जी जान से चाहत लगी॥
वह सब तरह हर हाल में, उसके निबाहन हार हैं॥३३॥


राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.

नरसी की सांवल – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३३

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *